ललित की सोच
रासमाधुरी पुस्तक का विमोचन
महाश्रृंगार छंद विधान व रचनाएँ
हुआ आजाद युवा यूँ आज,नई है सोच नया व्यवहार।
नहीं दिल में कोई जजबात,करे वो खुद ही खुद से प्यार।
उड़े वो दूर गगन की ओर,जैसे कटी पतंग की डोर।
उसे लुटना ही है हर हाल,नहीं चकरी में जिसका छोर।
ललित किशोर 'ललित'
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9.1.18
महाश्रृंगार छंद
गीत
चला आया मैं तेरे द्वार,छोड़कर ये सारा संसार।
श्याम बस इतनी है दरकार,मुझे कर देना भव से पार।
नहीं कर पाया तेरा ध्यान,नहीं पढ़ पाया वेद-पुरान।
नहीं कर पाया पूजा-पाठ,नहीं कर पाया गंगा-स्नान।
हाथ मैं तेरे जोड़ूँ रोज,एक तेरा ही है आधार।
श्याम बस इतनी है दरकार,मुझे कर देना भव से पार।
बनाया तूने सब संसार,चढ़ाऊँ क्या तुझको फल-फूल?
लगाना चाहूँ अपने भाल,प्रभो तेरे चरणों की धूल।
नहीं इस जग में कोई और,सुने जो मेरी करुण पुकार।
श्याम बस इतनी है दरकार,मुझे कर देना भव से पार।
करूँ कैसे तेरा गुणगान,श्याम तू तो है गुण की खान।
लगा दे मेरी नैया पार,जानकर बालक इक नादान।
अरे ओ मुरलीधर घनश्याम,मुझे दर्शन दे दे साकार।
श्याम बस इतनी है दरकार,मुझे कर देना भव से पार।
ललित किशोर 'ललित'
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महाश्रृंगार छंद
छोड़ कर प्यारा घर परिवार,चला तू किस दुनिया की ओर।
वदन मासूम तड़पता छोड़,अरे टूटी साँसों की डोर।
कहाँ तो तिनका तिनका जोड़,बसाया था तूने घर-बार।
कहाँ तू चला गगन की ओर,छोड़ कर काया के नव द्वार।
ललित किशोर 'ललित'
चौपाई विधान
चौपाई छंद विधान
यह एक सम मात्रिक छंद है जिसके प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती हैं अंत बेहतरीन लय के लिए दो गुरु वर्णों से ही होता है जो सम तुकांत हों।
दो चरणों के मेल से एक चौपाई बनती है किन्तु इसमें पूर्णता दो चौपाई अर्थात् चार चरणों से ही आती है।
चौपाई छंद के दो चरणों में 16,16 =32 मात्राएँ होती हैं...
तुलसीदास जी कृत "रामचरित मानस" मुख्यतः चौपाई छंद में ही लिखा गया है।
यह छंद किसी कथा का वर्णन करने के लिए अधिक उपयुक्त है इसमें कथानक आगे बढ़ता जाता है।
आठ या दस चौपाइयों के पश्चात् एक दोहा आवश्यक रूप से लिखा जाता है जिससे इसमें लय और रोचकता आती है।
इस छंद की अनेक लोकप्रिय धुन हैं जो सबके मन मानस में रची बसी हैं।
" मंगल भवन अमंगल हारी।
द्रवहुँ सुदशरथ अजिर विहारी।
ये एक प्रसिद्ध चौपाई है...
उदाहरण
चौपाई छंद
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********************* --दुर्मिल सवैया छंद विधान--- ********************* 1. यह एक वार्णिक छंद है। 2.इसमें चार चरण होते हैं। 3.चार ...
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18.07.16 प्रणाम मित्रों 13.01.2021 ******************************** - ---- आल्हा छंद विधान--- ********************************* 1.सममात्र...
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******************************** ------मदिरा सवैया छन्द विधान------ ******************************** 1. यह एक वार्णिक छंद है 2. इसकी हर ...