फरवरी 2019 (ई मेल)
जीवन की तस्वीर में रंग
प्यार के अंकुर जब
फूट रहे थे दिल में
नैन उलझे थे उसके
गालों के तिल में।
प्यार के जज़्बात का
इज़हार न हो पाया
अधरों तक आकर शब्द
लौट गए दिल में...
ललित
सार छंद
प्याज और रोटी का मुश्किल,से जुगाड़ है होता।
उस पर छोटा मुन्ना उसका,चॉकलेट को रोता।
माँ की आँखों में दो आँसू ,रह जाते हैं फँसकर।
चॉकलेट फीकी लगती है,कह देती है हँसकर।
ललित
दो होठों ने मिलकर
छलकते जाम से
ऐसे चखी
प्यार की मदिरा
कि
प्याले खुद
मदहोश होगए
एक दूसरे के आगोश में खो गए...
.....
दो होठों ने मिलकर
ज़मीं आसमाँ को मिला दिया
चाँदनी चाँद से यूँ लिपटी
बादलों को हिला दिया
बुधवार 13 फरवरी 2019
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मुक्तक -14-14
🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹चलो इक बार फिर से हम,
नयी दुनिया बसाते हैं।
नयी सुर-ताल सरगम पर,
नया इक गीत गाते हैं।
गिले-शिकवे दिलों में जो,
दिलों में ही दफन कर दें।
चलो पतवार बनकर हम,
भँवर को भी हराते हैं।
🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹
ललित किशोर 'ललित'
कोटा ,राजस्थान
🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹
मुक्तक
चलो इक बार फिर से हम,
नयी दुनिया बसाते हैं।
नयी सुर-ताल सरगम पर,
नया इक गीत गाते हैं।
गिले-शिकवे दिलों में जो,
दिलों में ही दफन कर दें।
चलो पतवार बनकर हम,
भँवर को भी हराते हैं।
ललित किशोर 'ललित'
सार छंद
उजड़ी माँग कलाई सूनी,आँखें पथराई हैं।
जिसने देखा हाल उसी की,आँखें भर आई हैं।
व्यर्थ किसी हालत में इनका,ये बलिदान न जाए।
गिन-गिन कर हैं बदले लेने,समय यही समझाए।
ललित।
18.2.19
कुण्डलिनी छंद
आँखों में चिंगारियाँ,और दिलों में रोष।
देख शहीदों को भरा,भारत में नव-जोश।
भारत में नव-जोश,आज है ऐसा छाया।
नष्ट करो वो पाक,हमें जिसने तड़पाया।
ललित
कुण्डलिनी छंद
जीवन में जो भी मिले,मान और अपमान।
समता में रह कर पियो,विष को अमृत जान।
विष को अमृत जान,पिए जाओ तुम ऐसे।
गरल भरा था जाम,पिया मीरा ने जैसे।
ललित
22.02.19
कुण्डलिनी छंद
दिल की धड़कन क्या कहे,सुन मेरे मनमीत।
साँस-साँस में गूँजता,मधुर-मधुर संगीत।
मधुर-मधुर संगीत,प्रीत की धुनें सुनाता।
आए जब तू पास,नज़र से तीर चलाता।
ललित.
कुण्डलिनी छंद
खींच रहा क्यूँ साँवरे,तू चुनरी का छोर?
नभ में बदरा झूमते,नाचें वन में मोर।
नाचें वन में मोर,हिया में आग लगी है।
जियरा धड़के हाय,मिलन की प्यास जगी है।
ललित
कुण्डलिनी छंद
छम-छम-छम-छम छम बजे,पायल आधी रात।
समझ न पाए साजना,पायल के जज्बात।
पायल के जज्बात,और कँगना की बोली।
सजना समझ न पाय,सजनिया भी है भोली।
ललित
कुण्डलिनी छंद
नटवर-नागर~~~~💝~~~~💝
नटवर-नागर साँवरा,मटकाए यूँ नैन।
रातों की नींदें हरे, छीने दिन का चैन।
छीने दिन का चैन,राधिका दौड़ी आए।
नैना हों जब चार,हिया शीतल हो जाए।
~~~~💝~~~~💝~~~'ललित'
काव्य सृजन परिवार~~~~💝~~
कुण्डलिनी छंद
सैनिक
दुश्मन के छक्के छुड़ा,सीमा पर बन काल।
ओढ़ तिरंगा आ गया,भारत माँ का लाल।
भारत माँ का लाल,गया था माँ से कह कर।
नहीं हिलूँगा मात,गोलियाँ भी मैं सह कर।
ललित
कुण्डलिनी छंद
शादी
भट्टी पर से रोटियाँ,धीरे-धीरे आयँ।
मेकप वाली छोरियाँ,लपक-लपक ले जायँ।
लपक-लपक ले जायँ, हमारे हाथ न आएँ।
सोच रहे हम आज,चलो चावल ही खाएँ।
ललित
कुण्डलिनी छंद
बाल-विवाह
छोटी सी दुल्हन चली,जब दूल्हे के साथ।
रोती थी वो जोर से,काँप रहा था गात।
काँप रहा था गात,गले लगती थी मैया।
बछिया का बलिदान,दे रही हो ज्यों गैया।
ललित
कुकुभ छंद
नमन देश के उन वीरों को,करते सब भारत-वासी।
करी जिन्होंने जाँ न्यौछावर ,उनको करे नमन काशी।
अंत समय जो बोल रहे थे,जय-जय हे! भारत माता।
हो शहीद वो खोल रहे थे,पुण्यों का अद्भुत खाता।
ललित किशोर 'ललित'
कुण्डलिनी छंद
कितने प्यारे हैं सभी,काव्य सृजन के मीत।
मेरी झोली में भरे,शुभ संदेशी गीत।
शुभ संदेशी गीत,सभी के दिल से आए।
आज खुशी के गीत,हृदय मेरा भी गाए।
ललित
कुण्डलिनी छंद
रूप-रंग का है चढ़ा,जिस पर खूब खुमार।
उस नारी से हो गई,अपनी आँखें चार।
अपनी आँखें चार,हुई ऐसी नारी से।
करती है जो प्यार,रूप की फुलवारी से।
ललित
कुण्डलिनी
राधा जैसी प्रीत हो,मीरा जैसा प्यार।
मित्र सुदामा सा मिले,कान्हा जाएँ वार।
कान्हा जाएँ वार,प्रेम-रस के दीवाने।
श्याम प्रेम की खान,राधिका ही ये जाने।
ललित
26.02.19
कुण्डलिनी
ठुमक-ठुमक कर नाचता,छुटका नंदकिशोर।
छोटी सी मुरली लिए,कर में माखन-चोर।
कर में माखन-चोर,लिए माखन जब घूमे।
बाल-सखा सब ग्वाल,तालियाँ दे-दे झूमें।
ललित
कुण्डलिया छंद
बम-गोले बरसा रहा,क्रोधित हिंदुस्तान।
सीना छप्पन इंच का,देखे पाकिस्तान।
देखे पाकिस्तान,काँपती अपनी धरती।
आतंकी क्यों हाय,किए थे पहले भर्ती?
कहे 'ललित' रे! पाक,पाप तू अब भी धोले।
बरसेंगें दिन-रात,नहीं तो ये बम-गोले।
ललित
जयहिंद
धुकुर-पुकुर होने लगी,भारी मचा धमाल।
जब नापाकी खून से,धरा हो गई लाल।
धरा हो गई लाल,लगा मुख पर यूँ ताला।
कहता है इमरान,यहाँ सब कुछ है आला।
ललित
27.02.19
गीतिका छंद
क्या हुआ कैसे हुआ रे,पाक तू कुछ तो बता?
घाव यूँ अपने छुपा कर,शान मत अपनी जता।
क्यों नहीं तू मान लेता,आज भी अपनी
खता?
जो छुपे हैं आतताई,दे हमें उनका पता।
ललित
कौन है कलाकार जो,रच बैठा संसार।
28.02.19
कुण्डलिया छंद
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बम-गोले बरसा रहा,क्रोधित हिंदुस्तान।
सीना छप्पन इंच का,देखे पाकिस्तान।
देखे पाकिस्तान,काँपती अपनी धरती।
आतंकी क्यों हाय,किए थे पहले भर्ती?
कहे 'ललित' रे! पाक,पाप तू अब भी धोले।
बरसेंगें दिन-रात,नहीं तो ये बम-गोले।
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ललित किशोर 'ललित'
28.02.19
भारत के पुष्प..........जयहिंद....!
पुष्प अनोखे वो होते हैं,
भारत में जोें पलते हैं।
चुभन सहें कंटक की फिर भी,
मुस्कानों में ढलते हैं।
सौरभ उनकी चहुँ-दिशि फैले,
दुश्मन बेबस रह जाते।
डर जाते हैं आतंकी भी,
दिल ही दिल में जलते हैं।
ललित किशोर 'ललित'
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