गीतिका छंद
~~~~~~किस्मत घंटियों की~~~~~~
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मंदिरों में आरती बिन,घंटियों के हो रही।
घंटियां इस्कूल वाली,ढाँक कर मुँह सो रही।
घंटियाँ मोबाइलों की,दन-दना-दन-दन बजें।
द्वार-घर की घंटियाँ महमान की आशा तजें।
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ललित किशोर 'ललित'
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