चौपाई छंद विधान
यह एक सम मात्रिक छंद है जिसके प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती हैं अंत बेहतरीन लय के लिए दो गुरु वर्णों से ही होता है जो सम तुकांत हों।
दो चरणों के मेल से एक चौपाई बनती है किन्तु इसमें पूर्णता दो चौपाई अर्थात् चार चरणों से ही आती है।
चौपाई छंद के दो चरणों में 16,16 =32 मात्राएँ होती हैं...
तुलसीदास जी कृत "रामचरित मानस" मुख्यतः चौपाई छंद में ही लिखा गया है।
यह छंद किसी कथा का वर्णन करने के लिए अधिक उपयुक्त है इसमें कथानक आगे बढ़ता जाता है।
आठ या दस चौपाइयों के पश्चात् एक दोहा आवश्यक रूप से लिखा जाता है जिससे इसमें लय और रोचकता आती है।
इस छंद की अनेक लोकप्रिय धुन हैं जो सबके मन मानस में रची बसी हैं।
" मंगल भवन अमंगल हारी।
द्रवहुँ सुदशरथ अजिर विहारी।
ये एक प्रसिद्ध चौपाई है...
उदाहरण
चौपाई छंद
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