जनवरी 2023 की रचनाएँ

जनवरी 2023 की रचनाएँ
पंचचामर छंद,वामाछंद,उल्लालाछंद,छप्पयछंद,
मुक्तामणिछंद
)01.01.23
पंच चामर छंद

चला गया बसन्त वो करार ढूँढते रहे।
कि रेत के समुद्र में बहार ढूँढते रहे।
खुली किताब सी रही सदाबहार ज़िन्दगी।
किताब ही पढ़ा किए कभी करी न बन्दगी।

ललित किशोर 'ललित'
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05.01.23
पंच चामर छंद

दिखा कहीं न श्याम राधिका पुकारती फिरे।
गया कहाँ मुरारि कृष्ण ये विचारती फिरे।
सुभोर बाँसुरी बजाय शंखनाद सा किया।
कि बाँसुरी बजा-बजा चला गया कहाँ पिया ?

ललित किशोर 'ललित'
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09.01.2023
वामा छंद
221 122 2112

हनुमान सदा प्रभु-नाम जपे।
करताल बजा श्री राम जपे।
हनुमत दिल में सिय-राम रहें।
सब भक्त उसे सुख-धाम कहें।

ललित किशोर 'ललित'

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छप्पय छंद

भोगों से संतुष्ट,कहाँ मानव हो पाए?
जितने भोगे भोग, प्यास बढ़ती ही जाए।
धन-दौलत के ढेर,कहाँ सँग ले जा पाता?
आता खाली हाथ,हाथ खाली ही जाता।
माया से लिपटा हुआ,झूठा है संसार ये।
शूलों में गूँथा हुआ,फूलों का है हार ये।

ललित किशोर 'ललित'

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उल्लाला छंद

सुख-दुख के मेले मिलें,जीवन की इस राह में।
सुख का झूला छूटता,और सुखों की चाह में।
दुख का मेला देख लो,धीरे से चुपचाप से।
हनूमान रक्षा करे,दारुण-दुख के ताप से।

ललित किशोर 'ललित'
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31.01.23
मुक्तामणि छंद

दुख-चिंता-भय-रोग की,आई विपदा भारी।
महावीर हनुमान जी,सुन लो विनय हमारी।
नाथ कृपा ऐसी करो,जीवन सुखमय होवे।
दारुण दुख में भी कभी,धीर न मनवा खोवे।

आप हृदय में आ बसो,दर्श करूँ दिन तीसा।
नित्य नियम से मैं पढूँ,हनूमान चालीसा।
दुख मन को व्यापे नहीं,सुख में जाप न छूटे।
राम-राम बोले बिना,अंतिम साँस न टूटे।

ललित किशोर 'ललित'
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