पेज 1से 3 रुबाई मुक्तक साझा संग्रह हेतु 25.10.17

साझा संग्रह हेतु 25.10.17

पेज - 1
रुबाई मुक्तक

*1
चाँद छुपा बदली के पीछे,धरती को यूँ तड़पाए।
कान्हा जैसे राधा को छू,छेड़छाड़ कर भड़काए।
राधा-कान्हा की मस्ती को,सखियाँ छुप-छुप कर देखें।
साँवल श्याम किशोरी राधा,चाँद न आगे बढ़ पाए।
*2
पत्थर की छत-दीवारों से,मकान न्यारा बन जाए।
रहते हैं जब सभी प्रेम से,तब सुंदर घर बन पाए।
प्यारा सबसे वो घर जिसमें,प्यारी सी इक मुनिया हो।
आँगन में तुलसी-वन हो जो,याद प्रभू की दिलवाए।
*3
माँ तेरे दामन की खुशबू,मन को शीतल कर जाए।
तेरे ये दो नैना मुझ पर,स्नेह सुधा नित बरसाएँ।
पथ में जो काँटे बिखरे माँ,दूर उन्हें तुम कर देना।
तेरे आँचल की छाया माँ,मन में खुशियाँ भर जाए।
*4
तेरा जलवा जब से देखा,जादू सा मुझ पर छाया।
तेरी सूरत इतनी प्यारी,दिल पर काबू कब पाया।
नजरों के आगे रहती है,हरदम ही मूरत तेरी।
तेरा ही मुख देखा जब भी,शीशे के सम्मुख आया।
*5
राही मैं अनजान डगर का,चलना है फितरत मेरी।
मंजिल दूर सफर मुश्किल है,साथ चले किस्मत मेरी।
हार जीत से डरना मैंने, जीवन में है कब सीखा।
मेरा प्यार जहाँ मिल जाए,वो होगी जन्नत मेरी।
'ललित'
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पेज -- 2
रुबाई मुक्तक
1
वन-उपवन सावन मनभावन,फिर भी लगता मन सूना।
साजन के बिन आँगन सूना,शोर करे पायल दूना।
विरहन की अँखियन मेंं आँसू,बदरा आँसू बरसाएं।
स्वप्न मिलन के दिखला कर वो,चला गया साजन पूना
2
फूल और काँटों का रिश्ता,मानव नहीं समझ पाये।
पुष्पों की रक्षा करते ये,काँटे ही हरदम आये।
कंटक से फूलों की शोभा,आजीवन हमदम काँटे।
काँटों में जो फूल खिले वो,कहीं न फिर ठोकर खाये।
3
फूल महकते जब बगिया में,झूमे खुश होकर माली।
गजरे में कुछ गुँथ जाएंगें,पहने कोई मतवाली।
कुछ माला में बँध महकेंगें,मन्दिर-मस्जिद-गुरुद्वारे।
कुछ मरने वाले की अर्थी,की हर लेंगे बदहाली।
4
रात सखी मेरे सपने में,श्यामल वो मोहन आया।
दिनकर से तपती धरती कोे, दे दी हो ज्यों घन छाया।
मुरली की आलौकिक धुन पर,झूम रहा था मतवाला।
वंशी की वो मधुर तान दिल,भूल नहीं अब तक पाया।
5
मैया तेरा वो नटखटिया,करता है माखन चोरी।
नैन मटक्का करता है जब,दिखे कहीं सुंदर छोरी।
जादू की बाँसुरिया से वो,तान मधुर मनहर छेड़े।
जिसको सुन छम-छम नाचे वृषभानु सुता चंचल गोरी।
'ललित'
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पेज -- 3
रुबाई मुक्तक

1
प्रेम भरा हो दिल में जितना,उतना ही वो छलकेगा।
नैन झरोखे से वो शीतल,मोती बनकर ढलकेगा।
जिसके सीने में नाजुक सा,प्यार भरा इक दिल होगा।
उसकी उठती गिरती पलकों,में हरदम वो झलकेगा।
2
सपनों में रँग भरने वाले,थोड़ा सा तू रुक जा रे।
खूब सुनहरे रँग सपनों में,मत भरना तू सुन प्यारे।
सपनों का जब उड़ता है रँग,वो पल बड़ा दुखद होता।
बदरँग सपनों में रँग भरना,सीख जरा तू मतवारे।
3
इस दिल पर जो जख्म लगे मैं,नहीं चाहता दिखलाना।
दिल को घावों की भाषा मैं,नहीं चाहता सिखलाना।
जख्म कुरेदें जितने उतना,दर्द और है बढ़ जाता।
दर्दे दिल की दवा किसी को,कौन चाहता पिलवाना?
4
कुछ कच्चे कुछ पक्के हैं घट,और निराले कुछ बाकी।
कुछ पेंदे के कुछ बेपेंदे,उड़ने वाले कुछ बाकी।
चम-चम-चम-चम चमकें कुछ घट,कुछ को दूजे चमकाते।
कुछ गोरे कुछ काले हैं घट,लालम-लाले कुछ बाकी।
5
कुछ को किस्मत ने चमकाया,कुछ चमके ठोकर खाके।
कुछ ने किस्मत को चमकाया,करके साँझ-सुबह फाके।
कुछ को लूट लिया किस्मत ने,देकर केवल तनहाई।
कुछ धोखा देते किस्मत को,हर मुश्किल में मुसकाके।
'ललित'
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