विनती माँ सुन लो

विनती यह शारद माँ सुन लो।
तुम शिष्य मुझे अपना चुन लो।
कविता सविता सम ही चमके।
हर शब्द सही लय में दमके।

नव छंद रचूँ नवगीत लिखूँ।
कुछ हार लिखूँ कुछ जीत लिखूँ।
कुछ प्यार भरी कविता लिख दूँ।
कुछ नश्वर की भविता लिख दूँ।

लिख दूँ मन के सब भाव अभी।
दिल के दुखते कुछ घाव अभी।
मन में पलते सुख के सपने।
लिख दूँ सब मीत यहाँ अपने।

यह कविता तोटक छंद में रचित की गयी है 

तोटक छंद विधान 
👉 यह एक वार्णिक छंद है जिसमें कुल चार पंक्तियाँ होती हैं।
👉 प्रत्येक पंक्ति में कुल चार सगण अर्थात् लघु लघु गुरू x 4  कुल 12 वर्ण होते हैं।
👉 दो या चार समतुकांत होते हैं।
⭐ भक्ति, नीति, तथा आदर्श परक रचनाओं के लिए ये छंद प्रसिद्ध है।

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