कान्हा इतनी किरपा कर दे,पल भर भी न तुझे भूलूँ। राधे-कृष्णा नाम स्वरूपी,झूले में मन से झूलूँ। मन-मन्दिर में दर्शन होवें,नयनों में झाँकी तेरी। अधरों से वो लगी बाँसुरी,चितवन वो बाँकी तेरी।
ललित
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