कुण्डलिया छंद रचनाएँ

28.02.19
कुण्डलिया छंद
बम-गोले
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बम-गोले बरसा रहा,क्रोधित हिंदुस्तान।
सीना छप्पन इंच का,देखे पाकिस्तान।

देखे पाकिस्तान,काँपती अपनी धरती।
आतंकी क्यों हाय,किए थे पहले भर्ती?

कहे 'ललित' रे! पाक,पाप तू अब भी धोले।
बरसेंगें दिन-रात,नहीं तो ये बम-गोले।

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ललित किशोर 'ललित'

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छद श्री सम्मान