28.03.19
त्रिभंगी छंद
इक सुंदर प्यारी,न्यारी न्यारी,बिटिया मेरे,घर आई।
शीतल पुरवाई,अति सुखदाई,अँगना खुशियाँ,भर लाई।
कहती है दादा,तुमसे वादा,करती हूँ मैं,
ये सच्चा।
शिक्षा मैं पाऊँ,नाम कमाऊँ,निर्भर होगा,ये बच्चा।
ललित
1
हरिगीतिका छंद
आद्या
जो फोन करती है मुझे हर, रोज आद्या नाम है।
बातें बना उल्लू बनाना,एक उसका काम है।
हर रोज कहती है मुझे विबग्योर में हूँ जा रही।
उल्लू बने दादू, हँसे वो ,और खुशियाँ पा रही।
ललित
2
मुक्तक
आद्या
छोटी-छोटी दो-दो चोटी,वाली आद्या रानी।
सीधी इसको समझो तुम ये,मत करना नादानी।
पशू-पक्षियों से ये छुटकी,प्यार बहुत करती है।
छोटी सी ये दिखती पर है,शैतानों की नानी।
ललित
3
ताटंक छंद
चली जा रही है सज-धज कर,पिंक फ्रॉक में रानी ये।
डाँस करेगी झूम-झूम कर,ओढ़ चुनरिया धानी ये।
पर्व युगादी नए वर्ष का,आद्या आज मनाएगी।
नया वर्ष हो मंगल-मय ये,मंगल-गीत सुनाएगी।
ललित
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