रात की दीवार पर
मुक्तक
चाहता कुछ राज लिखना,रात की दीवार पर।
चाँद की मीठी नज़र पर,चाँदनी के प्यार पर।
प्यार के अरमान मेरे,चूर दिल में ही हुए।
कौनसी कविता लिखूँ अब,ज़िंदगी की मार पर?
ललित
रजनी छंद विधान एवं उदाहरण
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------- छंद रजनी विधान-----
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1. यह एक मात्रिक छंद है।
2. इस छंद में 14, 9 = 23 कुल मात्राएँ
होती हैं।
3. दो - दो पंक्तियों में तुकांत सुमेलन किया जाता है।
4. चरणों का अंत सदैव गुरु वर्ण से किया जाता है।
5. मापनी :-
2122 2122, 2122 2
**** उदाहरण ****
छंद रजनी
अम्बिका जगदम्बिका माँ,लाल मैं तेरा।
थाम ले इस भँवर में माँ,हाथ तू मेरा ।
है घटा घन घोर छाई,दुःख की काली।
द्वार पर तेरे खड़ा मैं,हाथ हैं खाली।
**********रचनाकार*************
ललित किशोर 'ललित'
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उल्लाला छंद विधान एवँ उदाहरण
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-------उल्लाला छंद विधान-----
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इस छंद का नाम है....
उल्लाला / चन्द्रमणि छन्द :-
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1. उल्लाला सम मात्रिक छन्द है।
2. इस छंद के हर चरण में 13-13 मात्राओं के हिसाब से कुल 26 मात्राएँ
या
15-13 के हिसाब से 28 मात्रायें होती हैं।
3.इस तरह उल्लाला के दो भेद होते है।
4. 13-13 मात्राओं वाला छन्द ही विशेष प्रचलन में है।
5. इस छन्द में 11वीं मात्रा लघु ही होती है।
6. चरणान्त मॆं तुकान्तता अनिवार्य हॊती है ।
7. 15 मात्राओं वाले उल्लाला छन्द में 13 वीं मात्रा लघु होती है।
8. 13 मात्राओं वाले उल्लाला के सन्दर्भ में एक दिलचस्प बात यह है कि यह बिल्कुल दोहे के समान होता है,बस दूसरे और चौथे चरण में केवल दो दो मात्राएँ और बढ़ जाती हैं।
9. चरणांत सदैव दो लघु वर्ण अथवा एक गुरु वर्ण से हो सकता है।
10. इस छन्द को चन्द्रमणि छन्द भी कहा जाता है।
**** उदाहरण ****
उल्लाला छंद
उलझी मन की डोर ये,माया के जंजाल में।
बुद्धिमान नर भी फँसे,मन की टेढ़ी चाल में।
मन साधे सधता नहीं,अज्ञानी इंसान से।
साध सके विरला कहीं,मन को गीताज्ञान से।
**********रचनाकार*************
ललित किशोर 'ललित'
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इस छन्द में बहर का कोई बन्धन नहीं होता शिल्प बिल्कुल दोहे का होता है बस दोहे की पंक्ति के अंत (अर्थात दूसरे और चौथे ) चरण के अंत में दो मात्रा बढ़ जाती हैं अतः 13,11 की जगह 13,13
मात्रा होती हैं।
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