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------हंसगति छंद विधान------
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विधान...
1. यह 20 मात्राओं वाला मात्रिक छंद है।
2. इसमें 11,9 मात्राओं पर यति होती है।तथा यति पूर्व लघु वर्ण रखा जाता है।
3. दो-दो पंक्तियों में तुकांत सुमेलित किए जाते हैं।
4. अंत में 2 गुरु वर्ण आवश्यक हैं।
**** उदाहरण ****
हंसगति छंद
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जीवन की ये नाव,चले बलखाती।
ग़म-खुशियों के गाँव,हमें दिखलाती।
सुख की ले पतवार,मस्त चलती ये।
दुख-रुपी कुछ छेद,सहे हिलती ये।
**********रचनाकार*************
ललित किशोर 'ललित'
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हंसगति छंद रचनाएँ
1.
हंसगति छंद
पूजा
भाव-भक्ति के साथ,करूँ मैं पूजा।
तुझ सा जग में मीत,नहीं है दूजा।
किरपा ओ घनश्याम,जहाँ तेरी हो।
कदम-कदम पर जीत,वहाँ मेरी हो।
ललित किशोर 'ललित'
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2.
हंसगति छंद
चंचल मन
चंचल मन ये हाय,अश्व सम दौड़े।
सपनों में ही स्वप्न,हजारों जोड़े।
टूटे कोई स्वप्न,नहीं मन चाहे।
पूरा हो हर स्वप्न,यही मन चाहे।
ललित किशोर 'ललित'
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3.
हंसगति छंद
दिल की बात
दिल में है जो बात,कहूँ मैं कैसे?
रखूँ अधर मैं भींच,कहाँ तक ऐसे?
होगा क्या परिणाम,बात कहने का?
संशय दे संकेत,मौन रहने का।
ललित किशोर 'ललित'
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4.
हंसगति छंद
गरल
कुछ बातों में गरल,भरा है होता।
जिनसे दिल का घाव,हरा है होता।
कुछ आँखों में प्रीत,हिलोरें मारे।
दुखते दिल के घाव,भरे जो सारे।
ललित किशोर 'ललित'
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5.
हंसगति छंद
निशाना
साध निशाना तीर,राम ने मारा।
सत्य गया फिर जीत,दशानन हारा।
कुछ ही दिन तक झूठ,यहाँ ठुमकेगा।
घोर अँधेरे बीच,सत्य चमकेगा।
ललित किशोर 'ललित'
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6.
हंसगति छंद
प्लास्टिक
थैला सच्चा मीत,बात ये मानो।
प्लास्टिक थैली शत्रु,सत्य ये जानो।
सिंगल प्लास्टिक यूज़,बड़ा दुखदायी।
छोड़ो इसका साथ,आज से भाई।
ललित किशोर 'ललित'
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7.
हंसगति छंद
पनघट
पनघट पर है शोर,मचा कुछ ऐसा।
नहीं कोई चितचोर,कन्हैया जैसा।
आई हूँ चुपचाप,बिरज में ऐसे।
दो नैनों से नींद,उड़ी हो जैसे।
बाँसुरिया को छोड़,जरा बनवारी।
मैं हूँ गोरी नार,गजब मतवारी।
एक नज़र तो देख,राधिका को तू।
और सताना छोड़,कन्हैया यों तू।
ललित किशोर 'ललित'
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8.
हंसगति छंद
भोर
स्वर्णिम चुनरी ओढ़,भोर इतराई।
धरती पर रंगीन,छटा बिखराई।
सूर्यदेव से लाज,धरा को आए।
बादल की ले ओट,जरा मुस्काए।
ललित किशोर 'ललित'
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9.
हंसगति छंद
जीवन की नाव
जीवन की ये नाव,चले बलखाती।
ग़म-खुशियों के गाँव,हमें दिखलाती।
सुख की ले पतवार,मस्त चलती ये।
दुख-रुपी कुछ छेद,सहे हिलती ये।
ललित किशोर 'ललित'
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10.
हंसगति छंद
व्यथित मन
व्यथित हुआ मन आज,दूर अपने हैं।
क्यों इस ढँग से चूर,हुए सपने हैं?
मन से ग़ायब चैन,नींद कब आए?
रोक न पाएँ नैन,अश्रु जब आएँ।
ललित किशोर 'ललित'
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11.
हंसगति छंद
वक्त
वक्त कहाँ हर वक्त,सही रहता है?
वही वक्त हर वक्त,नहीं रहता है।
क्या जाने किस वक्त,वक्त किसका हो?
जीते वो हर जंग,वक्त जिसका हो।
ललित किशोर 'ललित'
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12.
हंसगति छंद
रास
शरद पूर्णिमा रास,रात भर होता।
आत्मानंदी प्रेम,कौन है खोता।
नाचें सारे गोप,गोपियाँ झूमें।
कान्हा को सब भक्त,नैन से चूमें।
ललित किशोर 'ललित'
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13.
हंसगति छंद
पूर्ण चंद्र
पूर्ण चंद्र को आज,चाँदनी चूमे।
शरदपूर्णिमा रात,लताएँ झूमें।
शीतल अमृत बूँद,चाँदनी लाई।
धरती पर हर ओर,बहारें आई।
तारों की बारात,चाँद है लाया।
ब्याह चाँदनी संग,रचाने आया।
पूनम की है रात,चंद्र-मुख कैसा?
परियों के सरदार,इंद्र-मुख जैसा।
चंदा की बारात,द्वार पर आई।
अमृत की सौगात,चाँदनी लाई।
स्वप्न सुनहरे आज,चाँद दिखलाए।
डोली में ससुराल,चाँदनी जाए।
घुँघरू करते शोर,रात मदमाती।
पायल की आवाज,छनन्-छन आती।
पूनम की है रात,चाँदनी प्यासी।
चंदा की वो आज,हुई है दासी।
ललित किशोर 'ललित'
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