मुक्तक
30.11.15
1
मुक्तक 16 ..14
बहुत दिया दाता ने हमको,
हम ही कुछ न समझ पाये।
इतनी महर करी भगवन् ने,
झोली छोटी पड़ जाये।
फिर भी हम इंसाँ तो हरदम,
रोना गम का हैं रोते ।
हँसकर जीना सीख लिया तो,
गम ही गम को खुद खाये।
'ललित'
2
मुक्तक 16 ..14
पुष्प बहुत ऐसे देखे हैं,
काँटों में जोें पलते हैं।
चुभन सहें कंटक की फिर भी,
मुस्कानों में ढलते हैं।
सौरभ उनकी चहुँ दिशि फैले,
काँटे बेबस रह जाते।
कंटक चुभ-चुभ थक जाते हैं,
दिल ही दिल में जलते हैं।
💖💖'ललित'💖💖
3
मुक्तक 16 ..14
जिनको हमने चुनकर भेजा,
सत्ता के गलियारों में ।
देखो वो सुख ढूँढ रहे हैं,
परदेशी बाजारों में।
नैना सबके तरसें अब तो,
उनके दर्शन पाने को।
मन की बातें सुन क्या खायें,
दाल नहीं दीदारों में।
ललित
1.12.15
4
कृष्ण दीवाने 12.1.17
मुक्तक 16 ..14
बिन पतवार चले ये नैया,
कुछ हिचकोले खाती रे।
नज़र न आये माँझी कोई,
नदिया भी गहराती रे।
मन कहता है मेरा कान्हा,
तुम वो अंतर्यामी हो।
पार करे जो नैया सबकी,
बिना अरज बिन पाती रे।
💝💝'ललित'💝💝
5
मुक्तक 16 ..14
फूलों ने हँसना छोड़ा है,
कलियाँ भी मुरझाई हैं।
माली सींच रहा बगिया पर,
पानी भी हरजाई है।
कली-कली पर भौंरे डोलें,
प्रेम नहीं कुछ मन में है।
खिलने से पहले रस चूसा,
अब केवल तनहाई है।
❤❤ललित❤❤
2.12.15.
6
मुक्तक
28 मात्रा भार में
14 ..14 की यति पर
1222, 1222, 1222, 1222
नहीं है जेब में पैसा,
न ही मुँह में निवाला है।
हमारी वो सदा देतीं,
पड़ोसन का हवाला हैं।
नया टीवी,नई मिक्सी,
नई इक कार भी ले ली।
निकम्मे लोन वालों ने,
हमारा दम निकाला है।
ललित
7
मुक्तक
28 मात्रा भार में
14 ..14 की यति पर
बहर 1222, 1222, 1222, 1222
जन्म दिन शुभकामना
सदा महको ,सदा चहको,
सदा सबको हँसाओ तुम।
सुहाने प्यार के नगमे,
हमेशा गुन गुनाओ तुम।
मनाएं आज हम सारे,
तुम्हारा जन्म दिन प्यारा।
खुशी की धूप जीवन में,
सदा यूँ ही खिलाओ तुम।
'
ललित'
8
मुक्तक। 14 14
सभी के मुक्तकों ने ये,
हरी क्यारी सजा दी है।
जिसे देखो लिखे मुक्तक,
यहाँ दस्तक बजा दी है।
बडा दिलकश नजारा है,
बहारों का इशारा है।
नया इक चाँद लायेंगें,
नजारों ने रजा दी है।
ललित
3-12-15
9
मुक्तक 28 मात्रा भार
यति। 16 12
इक पल दो पल,आज और कल,
समय फिसलता जाये।
लाख जतन कर अरब खर्च कर,
कोई रोक न पाये।
धर्म-कर्म मय जीवन जी लो,
समय न वापस आता।
वृद्धावस्था दस्तक दे पर,
मानव मन भरमाये।
ललित
10
मुक्तक
28 मात्रा भार में
14 ..14 की यति पर
चलो इक बार फिर से हम,
नयी दुनिया बसाते हैं।
नयी सुर-ताल सरगम पर,
नया इक गीत गाते हैं।
गिले-शिकवे दिलों में जो,
दिलों में ही दफन कर दें।
चलो पतवार बनकर हम,
भँवर को भी हराते हैं।
'ललित'
4.12.15
11
मुक्तक
26 मात्रा भार में
14 ..12 की यति पर
जीवन कब ये बीत गया,जान न पाया देही।
भीतर से कब रीत गया,भान न पाया ये ही।
अब क्या खाक कमायेगा,साथ चले जो तेरे।
छिनना है सब कुछ तेरा,नयन बंद करते ही।
ललित
12
मुक्तक
26 मात्रा भार में
14 ..12 की यति पर
चाँदनी ने दाग सारे ,चाँद के हैं धो दिये।
आइना चुप होगया है,आप ही कुछ बोलिये।
चाँदनी का दिल जलाने, आ गये तारे सभी।
चाँद क्यूँ चुप हो गया है ,राज कुछ तो खोलिये।
'ललित'
13
मुक्तक
26 मात्रा भार में
14 ..12 की यति पर
चाँदनी ने चाँद को कुछ, यूँ इशारा कर दिया।
बादलों ने रोष में आ,चाँद को ओझल किया।
चाँद से नजरें चुरा कर,चाँदनी रुखसत हुयी।
चाँद गुम-सुम सोचता क्यूँ, चाँदनी ने छल किया।
ललित
14
मुक्तक
26 मात्रा भार में
14 ..12 की यति पर
आसमाँ में चाँद ने जब, यूँ बसेरा कर लिया।
चाँदनी रानी बनी तब,तिमिर को ओझल किया।
चाँदनी का प्यार अपने,चाँद से जो कम हुआ।
दौड़ तम आया वहाँ फिर,चाँद को हर गम दिया।
ललित
15
मुक्तक
26 मात्रा भार में
14 ..12 की यति पर
आसमाँ में उड़ रहा जो,उड़ कहाँ तक पायगा।
वक्त की इक मार से वो,गिर जमीं पर जायगा।
वक्त तो हरदम किसी का, एक सा रहता नहीं ।
वक्त को कमतर गिने जो,मूर्ख ही कहलायगा।
5.12.15
16
मुक्तक
26 मात्रा भार में
14 ..12 की यति पर
साथ कुछ दिन जो चला था,राह में ही था मिला।
राह अपनी वो गया तो,अब किसी से क्या गिला।
यार जब तूने धरा पर,था कदम पहला रखा।
रो रहा था तू अकेला,दर्द का था सिलसिला।
ललित
17
मुक्तक
26 मात्रा भार में
14 ..12 की यति पर
कारवाँ जब ये चला था,जोश-मस्ती से भरा।
दीखता हर आदमी था,देश का सेवक खरा।
कारवाँ बढता गया तो,धुंध भी छँटती गयी।
आज नेता दीखता है,स्वाँग करता चरपरा।
'ललित'
18
मुक्तक
26 मात्रा भार में
14 ..12 की यति पर
ज़िन्दगी से आज हमको,चोट इक प्यारी मिली।
कौन सा मरहम लगाएँ,हर दवा खारी मिली।
ज़ख्म जो दिल में हुआ है,दीखता हरदम नहीं।
घाव पर मरहम लगाती,ख्वाहिशें सारी मिली।
'ललित'
19
मुक्तक
26 मात्रा भार में
14 ..12 की यति पर
अब चिरागों को उजाले,कैद करने आगये।
घाव दिल को दे गये जो,ज़ख्म भरने आगये।
देह हल्दी घाट की भी,स्याह अब होने लगी।
हुक्मराँ आतंकियों को,माथ धरने आगये।
ललित
20
मुक्तक
26 मात्रा भार में
14 ..12 की यति पर
2122 2122 2122 ,212
नाज से पाला जिसे था,आज वो बेटी चली।
बागबाँ को छोड़ देखो,जा रही नाजुक कली।
रीत ये कैसी बना दी,दिल पिता का रो रहा।
खून के आँसू रुला कर, जारही है लाडली।
'ललित'
21
एक मुक्तक
28 मात्रा भार
यति 14 12
2122 2122 2122 212
कोय गौतम कह रहा है,
और कोई एडमिन।
नाम प्यारा है नवीना,
साथ सबके रातदिन।
काव्य वो सबको सिखाता,
छंद मात्रा भार से।
सीख ले जो चाहता हो,
ठीक से लिखना कठिन।
ललित
22
मुक्तक
26 मात्रा भार में
14 ..12 की यति पर
2122 2122 2122 ,212
वक्त की बाजीगरी कुछ,यूँ हमें दम दे गयी।
हाथ मलते रह गये हम,हर खुशी गम दे गयी।
जानते थे हम खुशी गम,को छिपाये फिर रही।
थामना चाहा खुशी को,एक मरहम दे गयी।
'ललित'
मुक्तक
28 मात्रा भार में
14 ..14 की यति पर
बहर 1222, 1222, 1222, 1222
जन्म दिन शुभकामना
सदा महको ,सदा चहको,
सदा सबको हँसाओ तुम।
सुहाने प्यार के नगमे,
हमेशा गुन गुनाओ तुम।
कभी गम की घटाओं का,
न हो आगाज़ भी मन में,
खुशी की धूप जीवन में,
सदा यूँ ही खिलाओ तुम।
'
ललित'
आज मेरे पुत्र उदित का जन्म दिवस है
आप सब मित्रों का आशीर्वाद मिल जाए तो मोबाइल की यह दुकान चल जाए
No comments:
Post a Comment