कुण्डलिनी

कुण्डलिनी

2
गहरे दलदल में धँसी,हर रिश्ते की नाव।
ऊपर आ पाती नहीं,लाख लगालो दाँव।
लाख लगालो दाँव,सदा ही डगमग डोले।
रुपयों की पतवार,चले तो जय जय बोले।
'ललित'
कुण्डलिनी

कृष्ण दीवाने 11.1.17

कान्हा तेरे प्रेम में,बड़ी अनोखी बात।
नाचें प्यारी गोपियाँ,सारी सारी रात।
सारी सारी रात,भूल सुध बुध वो डोलें।
भूलें अपने गात,साँवरी खुद भी हो लें।
'ललित'

No comments:

Post a Comment