कुण्डलिया सृजन 2 E MAIL

19.12.16
कुण्डलिया सृजन 2
1
मोहन

प्यारे मोहन देखलो,हमको भी इक बार।
माखन घट स्वीकार लो,करदो अब उद्धार।

कर दो अब उद्धार,पिलादो प्रेम पियाले।
मुरली की अब तान,सुना दो मुरली वाले।

आज ललित की पीर,हरो ओ ग्वाल सखा रे।
नटखट नटवर श्याम, अरे ओ मोहन प्यारे।

कुण्डलिया सृजन 2
2
नाते

नाते-रिश्तेदार भी,देखे हमने खूब।
जो नोटों के भँवर में,रहे गले तक डूब।

रहे गले तक डूब,खड़े हम नदी किनारे।
टूटी हर पतवार,तेज हैं इतने धारे।
कहे 'ललित' ए काश,अकेले हम चल पाते।
झूठे हैं अब यार,यहाँ सब रिश्ते-नाते।

'ललित'
3
जीवन

जीवन की तस्वीर में,रंग भरे हर कोय।
किस्मत करे मजाक तो,बदरंगा सब होय।

बदरंगा सब होय,नहीं फिर कुछ भी भाता।
उड़ जाता हर रंग,तोड़ कर उस से नाता।
कहे 'ललित' पछताय,उधड़ जाती हर सीवन।
जितना रखो सँभाल,बिखरता उतना जीवन।
'ललित'

4
दोस्ती

जीवन भर की दोसती,पल में देता छोड़।
मानव मन का आज भी,नहीं दीखता तोड़।

नहीं दीखता तोड़,फिरे ऐसा मदमाता।
दूजे का सुख देख,न जाने क्यों जल जाता?
कहे 'ललित' कविराय,करे मन ऐसी छीजन।
खूब बिगाड़े काम,दुखी कर देता जीवन।

'ललित'
5
राधा
कृषण दीवाने10.1.17
राधा की पायल बजे,छम-छम-छम जब श्याम।
तब तेरी मुरली बजे,मधुर मधुर अविराम।

मधुर मधुर अविराम,कान में रस वो घोले।
मन ही मन में नाम,राधिका का तू बोले।
कहे 'ललित' है श्याम,राधिका के बिन आधा।
करे उसे भव पार,रटे जो राधा-राधा।

'ललित'

6

अपनापन

पाया है जो आपसे,अपनापन सौ बार।
दीवानापन ये नहीं,ये है सच्चा प्यार।

ये है सच्चा प्यार,हमारा दिल है कहता।
दिल में ही तो यार,सदा दिलवर है रहता।

सुनो 'ललित' की बात,विष की खान ये काया।
बन गईअमृत खान,ऐसा प्यार जो पाया।
'ललित'
7
पायल

छम-छम-छम-छम बज रही,पायलिया मुँह जोर।
प्रीतम से मिलने न दे,पनघट के उस छोर।

पनघट के उस छोर,पुकारे साजन प्यारा।
गोरी का दुख देख,हँसे हर झिलमिल तारा।

कहे 'ललित' कविराय,प्रीत की दुश्मन हरदम।
सखियाँ हँसती खाँस,बजे जब पायल छम-छम।

ललित
8
नव दुल्हन
खन-खन खनकें चूड़ियाँ,नव-दुल्हन के हाथ।
अधरों पर नथनी सजे,टीका सोहे माथ।

टीका सोहे माथ,कान में झूले बाली।
पहने मंगल सूत्र,लिये अँखियन में लाली।
कहे 'ललित' सिंगार,करे नव दुल्हन बन-ठन।
घर होता गुलजार,बजे जब चूड़ी खन-खन।

ललित
9
बरगद

देते शीतल छाँव थे, जो बरगद के पेड़।
भूल गए बच्चे उसे,याद रही बस मेड़।

याद रही बस मेड़,न सींचे बरगद पीपल।
बोते हैं जो आज,वही काटेंगें वो कल।
कहे 'ललित' वो छाँव,नहीं बरगद की लेते।
छोड़ो अब ये ठाँव,सीख बरगद को देते।

'ललित'
10
चाँद चाँदनी

होने टिम-टिम-टिम लगे,तारों की चमकार।
चाँद चँदनिया का तभी,करता है श्रृंगार।

करता है श्रृंगार,चाँदनी का वो ऐसे।
दुल्हन नई नकोर,सजी हो कोई जैसे।

देख 'ललित' ये प्यार,चँदनिया लगती रोने।
बूँदों की बरसात,लगे टिम-टिम-टिम होने।

'ललित'
11

बादल बिजली

बादल बिजली में दिखे,बड़ा अनोखा प्यार।
घन का पथ रोशन करे,शम्पा की चमकार।

शम्पा की चमकार,लगे नीरद को प्यारी।
बरसादो रसधार,कहे बिजुरी उजियारी।

'ललित' गाज के अधर,चूमता वारिद का दल।
करने को बौछार,मिलें बिजली औ' बादल।

'ललित'
12
सावन

मदमाती बूँदे गिरें,सावन की चहुँ ओर।
दादुर टर-टर कर रहे,नाचे वन में मोर।

नाचे वन में मोर,पपीहा पिहु पिहु गाए।
अमरबेल तज लाज,वृक्ष से लिपटी जाए।

'ललित' चंचला नार,कहे कुछ कुछ शर्माती।
हाय भिगोती गात,गिरें बूँदें मदमाती।

'ललित'
13
लीला

तेरी लीला को प्रभो,मन ये समझ न पाय।
मन चाहा होता नहीं,अनचाहा हो जाय।

अनचाहा हो जाय,नहीं जो मन को भाता।
सुख की होती चाह,मगर दुख फिर फिर आता।
कहे 'ललित' कविराय,देख ली ये अंधेरी।
पापी सब सुख पाय,अजब है लीला तेरी।

'ललित'
14
काला पीला धवल

काले धन को ढूँढने,निकला 'मोदी' राज।
काला पीला हो गया,बिगड़े सब के काज।

बिगड़े सब के काज,रंग सब हुए पराए।
बैंकर से ही श्वेत,जब काले भी राए।

'ललित' रहा सहलाय,काले दे गये छाले।
धवल खड़े पछतायँ,सयाने थे सब काले।

'ललित'

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