उल्लाला 2(13.2.17 से)

उल्लाला
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शादी की वर्षगाँठ की अशेष शुभकामनाएं राकेश जी व भाभीजी को......
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याद 'राज' वो दिन करो,रौनक थी बारात में।
नयी नवेली जब मिली,दुल्हन थी सौगात में।

गठबंधन जब हो गया,'ललिता' जी के साथ में।
जीवन की खुशियाँ सभी,आ बैठी थी हाथ में।

धीरे धीरे जुड़ गये,'यश'-'माही' परिवार में।
कविताएं बनने लगीं,इस सुंदर संसार में।

काव्यसृजन के मित्र सब,करते हैं ये कामना।
मंगलमय दिन रात हों,न हो गमों से सामना।

ललित

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उल्लाला

छूते हैं आकाश को,हम ऊँची  परवाज से।
लक्ष्य साधना सीखते,नभ में उड़ते बाज से।

दुश्मन करता वार है,दो धारी तलवार से।
दुश्मन को है मारना,हमको इक दिन प्यार से।

ललित

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राधा गोविंद15-2-17
उल्लाला
राधा-राधा

कान्हा तेरे नाम का,जयकारा चहुँ ओर है।
राधा जी के नाम का,मचा बिरज में शोर है।
राधा-राधा बोलते,कान्हा के सब दास हैं।
राधा-राधा जो जपें,मोहन उनके खास हैं।

ललित

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उल्लाला

प्यार भरा दिल तोड़के,हँसते हैं वो प्यार से।
दिल के टुकड़े हो गए,जिनके नैन कटार से।

टूटा दिल का आइना,टूट गया विश्वास है।
टूटे दिल की दोसती,आज गमों से खास है।

ललित

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उल्लाला
राधा गोविन्द 14-2-17
कैसे भूल हमें गया,मथुरा जाकर श्याम तू।
सारे जग में साँवरे,होगा रे बदनाम तू।

तुझ बिन मन को साँवरे,आए कैसे चैन रे?
रो-रो कर हैं थक गए,राधा के दो नैन रे।

झूठी तेरी प्रीत थी,सपनों सा मधुमास था।
पर मन को विश्वास है,सच्चा तेरा रास था।

वन-उपवन औ' वाटिका,लतिकाएं व्रजधाम की।
निश-दिन माला जप रहे,कान्हा तेरे नाम की।

ललित

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उल्लाला

अँखियों से ओझल हुए,स्वप्न सुनहरे आज हैं।
बिन सजना बजते नहीं,कोई भी अब साज हैं।
साँसों की अब दोसती,हुई गमों के साथ है।
राहें धोखा दे गईं,अब केवल फुटपाथ हैं।

ललित

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