तोटक सृजन 2

35-6
2600
619 किमी

चले1..17
तोटक छंद
1
महका महका गजरा सजता।
बहका बहका कँगना बजता।
सजनी कहती सुन रे सजना।
मनभावन पायल का बजना।

'ललित'

जितना समझा जितना परखा।
इस जीवन को जितना निरखा।
गम का दरिया उतना गहरा।
हर साँस करे जिस पे पहरा।

ललित

तोटक

जनमा व्रज में जब नंदलला।
सब के दिल में नव प्यार पला।
उस गोप सखा मनमोहन से।
सब प्रेम करें छुटके पन से।

मुखड़े पर है लट यों लटकी।
कलियाँ लतिका पर ज्यों अटकी।
वह चाल चले लहकी लहकी।
यशुदा फिरती चहकी चहकी।

'ललित'

हर मानव की बस नींव यही।
जिसने उसकी सब पीर ही।
जब वो नर नींव बिसार रहे।
चुप नींव रहे बस नीर बहे।

'ललित'

तोटक छंद

राकेश जी के सुझाव से परिष्कृत

हिलती डुलती हर नाव चले।
सहती अपनों के घाव चले।
यह नाव हिले परवाह नहीं।
कुछ घाव मिल़ें परवाह नहीं।

जब नाम जपे दिनरात यहाँ।
तब पार लगे यह नाव वहाँ।।
हरि की मरजी खुश हो सह ले।
जब नाव हिले सुमिरो पहले।।

'ललित'
💐💐💐💐💐💐

बरसे बदरा हमरे अँगना।
अब आन मिलो कहता कँगना।
तब चैन मिले जब नैन मिलें।
मन मन्दिर के सब फूल खिलें।

'ललित'

छमियाँ छलिया छलती छलसे।
बलमा बलखाय बड़े बल से।
चमके चिहुँके चुटकी भर से।
नित रास रचाय नए नर से।

'ललित'

घट-माखन फोड़ दिया झट से।
फिर माखन चाट गया घट से।
सब गोप पसार रहे कर को।
पर माखन-चोर भगा घर को।

'ललित'

जब प्रीत हुयी मन फूल खिला।
जिस राह चले इक शूल मिला।
जब प्यार किया तब क्या डरना?
जग की परवाह नहीं करना।

कब कौन न प्रीत करे जग में?
सुनते सब प्यार भरे नगमे।
सुन साजन ताल मिला मुझसे।
करना मत आज गिला मुझसे।

ललित

अब तो परिवर्तन हो प्रभु जी।
अब तो मन मर्दन हो प्रभु जी।
अब काम विकार निकाल धरो।
अब राम विचार दिमाग भरो।

🌿तोटक छंद🌿

सब देख लिये हमने अपने।
दिल तोड़ गए बनके सपने।
हम आज कहें जिनको अपना।
सब वो दिखलाय रहे सपना।

ललित

🌺🌿तोटक छंद🌿🌺

😃😃😃😃😃😃

जब 'राज' यहाँ कविता लिखते।
हर रोज नए मुखड़े दिखते।
अब काव्य यहाँ नव रूप धरे।
मन का हर भाव यहाँ निखरे।

'ललित'

✈✈✈✈✈✈
1
अब नूतन भाव भरो मन के।
कविता हर याम लिखो तनके।
अरु 'राज' सुधार करें नित ही।
कविता लिखलो मनवांछित ही।
2
जब मात पिता तदबीर करें।
तब ही सुत के सब काज सरें।।
जब मात पिता सिर हाथ धरें।
सुत की विपदा भगवान हरें।

3
सीता माता कहिन
(दीनदयाल विरिदु..)

प्रभु दीन दयाल कहावत हैं।
अरु दीनन पीर मिटावत हैं।
पर दुःख मुझे यह घोर मिले।
दुख राम हरें सुख छोर मिले।

4
बस नाम मुलायम था जिसका।
सुत बाप बना अब है उसका।
अखिलेश रहा समझा उसको।
पतवार नहीं दिखती जिसको।

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