पिता
तिनका तिनका चुनकर लाया।
प्यारा सा घर एक बनाया।।
अपने तन का खून जलाया।
बच्चों को पर दूध पिलाया।।
दुनिया भर से लड़ता आया।
घर पर दादा बड़ सा छाया।।
दिन रहते कुछ देखे सपने।
साँझ ढले सब बिछड़े अपने।।
जिन पर जीवन व्यर्थ गँवाया।
वे ही कहते आज पराया।।
तात तुम्हारी यही कहानी
अब तो छोड़ो ये नादानी।।
दोहा
भूल नहीं उस तात को,पाला जिसने तोय।
काटेगा तू कल वही,आज रहा जो बोय।।
तुलसी
विष्णु प्रिया तुलसी घर जाके।
प्राण वायु पावन घर वाके।।
तुलसी दर्शन नित उठ करिए।
स्नान ध्यान कर जल फिर धरिए।।
प्रात: तुलसी रस पी ली जै।
बल औ' तेज में वृध्दि की जै।।
तुलसी है अनमोल रसायन।
सेवा से खुश हों नारायन।।
तुलसी सर्व रोग हर लेवे।
तन-मन को पावन कर देवे।।
तुलसी वन रखिए सदा,घर आँगन में बोय।
नित उठ दर्शन जो करे,मोक्ष-मुक्ति फल होय।।
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