मल्लिका छन्द रचनाएँ

13.08.15
मल्लिका छंद रचनाएं

1

सावन

सोहनी पडे फुहार
भीग जात तार तार।

मोर नाच गात गीत
बाग में परी प्रतीत।

पात पात भीग जात
गात गात हो प्रभात।

घोर मेघ नाद होय
बाग नारि झूल खोय।

'ललित'

2

नाथ आ हो दयाल
बाल को करो निहाल।
काल के कराल गाल
पाश काट ,दो निकाल।

नाथ आप हो महेश
आप ही हरो कलेश।
गाँव -गाँव ,देश-देश
आरती करें भवेश।

'ललित'

3

मातु मोहि सौंह तोरि
गाँव की हि गोरि छोरि।
थाम लीनि बाँह मोरि
माथनी न मातु फोरि।

दूध पीन दे तु मोहि
गाय मातु बाट जोहि।
जो तु मोरि मातु होहि
रोक ना तु मातु सोहि।

'ललित'

4

श्याम धूम है मचाय
मोहि दूध दे पिलाय।
गाय भी करे पुकार
श्याम को रही निहार।

कृष्ण नाम प्रेम धाम
बाँसुरी करे प्रणाम।
गाय में करोड देव
नंद लाल रोज सेव।

भोर श्याम जाय धाय
बाँसुरी रहा बजाय।
गोपियाँ भयी विभोर
हाँक लाय कृष्ण ढोर।

'ललित'

5

मैं अनाथ नाथ आप
दीन के सहाय आप।
मोह जाल से निकाल
नाथ आप हो विशाल।

और कौन मीत नाथ
आप हो दयालु साथ।
आप से शरीर प्राण
आप हो गरीब त्राण।

त्राहि माम!त्राहि माम!
पाहि माम!पाहि माम!
प्यार से पुकारूं देव
हाथ माथ हो सदैव।

'ललित'

मल्लिका 20.2.17

श्याम बाँसुरी बजाय।
नाग को रहा नचाय।
देख श्याम का कमाल।
गोप हो रहे निहाल।

मोर पंख धार शीश।
नाग नाथ आज ईश।
भक्त की सुनें पुकार।
नाग के हरें विकार।

ललित

एक श्याम तत्त्व खास।
आत्म से रचाय रास।
बाँसुरी सुनाय राग।
काम क्रोध जाय भाग।
ललित

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