राखी
राखी दोहे
रक्षा बंधन की पहली प्रस्तुति
समीक्षा हेतु
भेज रही हूँ नेह की,
इक छोटी सी डोर।
दे दे ना भैया मुझे,
खुशियों का इक छोर।
भाई मेरा खुश रहे,
यही प्रभू से आस।
जीवन में देखे नहीं,
कभी गमों की त्रास।
वीरा तुझसे है बँधा,
मन का हर इक तार।
तेरे मधुर सनेह से,
जीतूँ सब संसार।
'ललित'
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