28.02.2020
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-------रोला छंद विधान-----
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रोला छंद
1. यह चार पंक्तियों अर्थात आठ चरणों वाला अर्द्धसम मात्रिक छंद है जिसकी प्रत्येक पंक्ति में 11,13 की यति से कुल चौबीस मात्राएँ होती हैं।
2. रोला छंद के
विषम चरणों (1,3,5, और 7) में 11 मात्राएँ तथा
सम चरणों (2,4,6और 8) में 13 मात्राएँ होती है।
3. रोला छंद में दो अथवा चार तुकांत समान होते हैं ।
4. सम चरणों का अंत 22/112/211/1111 के मात्रिक क्रम से ही होना अनिवार्य है ।
5. रोला छंद में यति पूर्व सदैव लघु वर्ण ही रखा जाता है और बेहतर लय के लिए अंत में हमेशा दो गुरू वर्ण होते हैं।
6. दोहे और रोला छंद में मात्राएँ बिलकुल विपरीत होती हैं।
दोहा लेखन में 13,11=24 मात्रा भार रखते हैं जबकि रोला छंद में इसके विपरीत 11,13 =24 मात्रा भार रखना है किन्तु विपरीत होने पर भी रोला छंद का शिल्प दोहे से भिन्न है।
**** उदाहरण ****
रोला छंद
चलते-चलते श्वास,कलम की जब भी रुकती।
ले शारद का नाम,कलम कागज पर झुकती।
लिख देती है पीर,कभी गहरे सागर की।और कभी दिल खोल,लिखे खुशियाँ गागर की।
**********रचनाकार*************
ललित किशोर 'ललित'
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