सिंधु छंद 4 न जाने बागबाँ वो सुस्त सा क्यों है? बुढ़ापे में दिखे वो पस्त सा क्यों है? कि बोए बीज थे उसने सदा जैसे। नहीं क्यों बाग में हैं फल हुए वैसे?
ललित
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