राजनीति

कुण्डलिनी

वोटों की बौछार से,भिगो दिए जब आप।
नहीं भला क्यों हर सके,जनता के संताप?
जनता के संताप,बढ़े हैं हद से ज़्यादा।
कितनी जल्दी भूल,गए हो अपना वादा।

ललित

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