माँ शारदा

. भक्ति रस
पियूष वर्ष छंद

शारदा माता कृपा इतनी करो।
काव्य-रस के ज्ञान से झोली भरो।
भाव अद्भुत भर सकूँ हर बंध में।
काव्य रचना कर सकूँ हर छंद में।

ललित

दोधक छंद
जय माँ शारदे

शारद माँ किरपा कर देना।
भाव जरा मन में भर देना।
भाव उठें मन में जितने ही।
सुंदर छंद रचूँ उतने ही।

मंदिर-मंदिर मूरत तेरी।
सुंदर शोभित सूरत तेरी।
मात करूँ नित वंदन तेरा।
भाव रहे अब मंद न मेरा।

ललित

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