जलहरण घनाक्षरी
1
कान्हा से नजर मिली,राधा सुध भूल चली।
सरक गई चुनरी,पायलिया बेजान है।।
सखियाँ इशारे करें, मुख फेर फेर हँसे।
राधा छवि देख रही,साँवरिया नादान है।।
बाँसुरी बजाए कान्हा,गइयाँ है चरा रहा।
राधाजी को प्यारी लगे,बाँसुरिया की तान है।।
राधा जी की सखी संग,मोहन करे बतियाँ।
राधे रानी रूठ रही,कन्हैया बेईमान है।।
2
कन्या भ्रूण हत्या
अजन्मी की व्यथा
मुख मत मोड़ना माँ,मुझे मत मारना माँ।
तेरी परछाई हूँ मैं,कातिल ये जहान है।
चलती है पुरवाई,बरखा है बरसती
दुनिया है फुलवारी,गायब बागबान है
लहराता समंदर,ऊपर नीला अम्बर।
सतरंगी बहार है,ये प्यारा गुलिस्तान है।
घूमी लख चौरासी मैं,मानुष योनि पाने को।
मुझको भी देखने दे,दुनिया आलीशान है।
'ललित'
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