9 लला और माया (भाग-2)साझा काव्य संग्रह

लला और माया(भाग -2)

लला को पढ़ाया उधारी  चढ़ाके,ममा और पापा करें रोज फाके।
यही आस बेटा पढ़ेगा लिखेगा,लला का बड़ा नाम ऊँचा दिखेगा।
बड़ा नेक बेटा दिलासा दिलाता,सदा मान देता प्रभू को धियाता।
ममा और पापा ,ददा और दादी,सभी के दिलों में उमंगें जगादी।
पढ़ूँगा बनूँगा बड़ा आदमी मैं,करूँ मात सेवा सदा लाजमी मैं।
लला फोन मोबाइलों से घुमाता,नहीं बात कोई ममा से छुपाता।
सभी खास बातें हमेशा बताता,ममा और पापा विधाता जताता।
कभी भी ममा को न ये भास होता,लला काश मेरा सदा पास होता।
बड़ी ही सुहानी कहानी यहाँ से,ममा की जुबानी सुनो जी वहाँ से।
लला आज सी एस सी ए हुआ है,सुनो राम जी की बड़ी ये दुआ है।
लला के पपा आप बाजार जाओ,मिठाई फलों का चढावा चढ़ाओ।
मिठाई बँटाओ गली औ' बजारों,मिलेंगी दुआएँ लला को हजारों।
ददा ये कहें आज संसार सारा,कहेगा लला खास पोता हमारा।
लला झूमता खूब देखो नजारा,ममा औ' पपा का बनूँगा सहारा।
रही ख्वाहिशें आपकी जो अधूरी,करूँगा सभी ब्याज के साथ पूरी।
पपा की खुशी का नहीं है ठिकाना,सुधारा बुढ़ापा सही आज जाना।
लला की बड़ी काम की होशियारी,मिली नौकरी साथ पैकेज भारी।
चुकाने लगा वो पपा के उधारे,कमोबेश हालात यूँ ही सुधारे।
सवा साल बीता दिवाली मनाते,नया दौर आया बहाने बनाते।
लला ने फसाना पुराना सुनाया,पढ़ी साथ थी जो परी नाम माया।
'ललित'                                 क्रमश:

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