भुजंग प्रयात सृजन 2

भुजंग प्रयात
23.4.16
1
कहानी बची है न पन्ना बचा है।
न ही देश में आज गन्ना बचा है।
न पानी धरा पे कहीं दीखता है।
धुआँ आसमाँ में यहीं दीखता है।
2
प्रभू द्वार कैसे मिलेगा ठिकाना।
न सत्कर्म जाना न ही राम जाना।
न पूजा करी औ' नहीं की भलाई।
अरे ऐश में जिन्दगानी गँवाई।
3
किसी डूबते को सहारा दिलाया?
किसी गाय को क्या निवाला खिलाया?
कभी मुफ्त शिक्षा किसी को दिलाई?
कभी जिन्दगी में करी क्या भलाई?
4
कभी सोच यात्री जरा साँस ले के।
वहाँ जायगा कौन सा पास ले के।
अभी भी नहीं देर ज्यादा हुई है।
लगी टेर तो दूर बाधा हुई है।
5
चला जायगा खोल मुट्ठी जहाँ से।
नहीं जायगी पोल पट्टी यहाँ से।
यहाँ जो कमाया यहीं छूटना है।
किया पुण्य है जो नहीं छूटना है।
6
करे क्यूँ गुमाँ तू गुलिस्ताँ सजा के।
उड़ानें भरे आसमाँ को लजा के।
कहानी यहीं खत्म होनी नहीं है।
रुहानी पतंगें उड़ानी यहीं हैं।
7
🎈🎈🎈🎈🎈🎈
मिला भोर से आज ऐसा इशारा।
लिखो आज कोई नया छंद
याराँ।
जरूरी नहीं ये कि भाए सभी को।
कहो बात ऐसी मिलाए सभी को।
8
किसी को तराने फसाने रिझाएँ।
कहीँ आँधियाँ दीपकों को बुझाएँ।
कहीं पे चिरागों तले आँधियाँ हैं ।
कहीं राज रानी बनी बाँदियाँ हैं।
9
दिलों में  खुशी ये तराने जगाएँ।
यही जिन्दगी से गमों को भगाएँ।
सदा जो फसाने सुनें औ' सुनाएँ ।
उन्हें क्यूँ  किसी के बहाने सताएँ
10
मणी जी सुनाएँ नए ही तराने।
नहीं रास आएँ पुराने घराने।
पुराने घरों की पुरानी दिवारें।
यहाँ खेलती जिन्दगी से जुआँ रे।
11
बुझे जो दिया वो बडी तेज लौ दे।
धुआँ आँख को आँसुओं से भिगो दे।
दिलों में बसें ये जवानी बुढापा।
जवाँ ने कभी क्या बुढापे को भाँपा।
12
हँसाती नहीं है कभी रेलगाडी।
रुलाती नहीं है कभी बैल गाडी।
हँसाती रुलाती हमें जिन्दगी है।
खुदा से मिलाती हमें बन्दगी है।
13
कभी भी किसी का भरोसा न तोड़ो।
किसी के भरोसे नहीं आप दौड़ो।
भरोसा दिलासा दिलाते सभी हैं।
कहाँ मुश्किलों में निभाते सभी हैं।
'ललित'
14
कुछ तो है बुढापे में

😀😀😀😀😀😀
बुढापा सदा मुश्किलों से बचाता।
युवा कौम की राह आसाँ बनाता।
कई कंटकों को पथों से हटाए।
नए दौर की खामियों को घटाए।

ललित
🙏🌺🙏

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