संक्षिप्त विधान

           विधान🌻चौपाई

"चौपाई" यह एक सम मात्रिक छंद है जिसमें चार चरण अर्थात दो पंक्तियाँ होती हैं और प्रत्येक चरण में 16 - 16  मात्राएँ होती हैं।

🌷 चौपाई के अंत में दो गुरू वर्ण अथवा दो लघु वर्ण व एक गुरु वर्ण या एक गुरु तथा दो लघु वर्ण होते हैं...लेकिन ध्यान रहे कि प्रत्येक चरण के अंत में "जगण (121) और तगण (221) नहीं आएगा ।

🍁 सार रूप में चौपाई के अंत में दो गुरु वर्ण 2+2  का मात्रा भार होना चाहिए जिससे लय बेहतर होती है।

               कुकुभ छंद

👉🏻 यह कुल 30 मात्राओं वाला एक मात्रिक छंद है जिसमें 16,14 मात्राओं पर यति होती है।

👉🏻 इस छंद के अंत में दो गुरुवर्ण होना अनिवार्य है अंत में दो लघु वर्णों को गुरु वर्ण नहीं माना जा सकता।

👉🏻 इस छंद की दो पंक्तियों में समतुकांत होता है। चार में नहीं।
कुकुभ/ककुभ छंद में 2/4 दोनों ही समतुकांत लिए जा सकते हैं लेकिन 2 समतुकांत से ही यह छंद सुंदर लगता है ।

       और दूसरी बात कि इस छंद के प्रत्येक चरण के अंत में 2 गुरु ही आने चाहिए...यानि 2 गुरु के पहले गुरु की अपेक्षा लघु आना ही श्रेयस्कर है....क्योंकि जैसे ताटंक छंद का अंत "मगण" यानि 3 गुरु (222) से होता है वैसे ही इस छंद का अंत भी "यगण" यानि 1 लघु 2 गुरु (122) से करना बेहतर होता है....

अतः अंत 2 गुरु से ही करें...यदि भाव प्रबल है तो इनके पहले लघु की जगह गुरु आ जाये तो भी चलेगा....पर जहाँ तक हो बचना है ।
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